July 21, 2024

गोबर से लालटेन जलती है

गोबर से लालटेन जलती है
बात यही महलों को खलती है

इधर-उधर से जोड़ा जाड़ी कर
रामधनी ई रिक्शा ले आया
बुधुआ ने रोज की मजूरी से
छिपने भर का कमरा बनवाया
नन्हकइया बाइक से चलती है

इसी बात पर ऊँची बिरादरी
घूमती फिरे ऐंठी ऐंठी है
पेट के लिए आखिर धनिया क्यों
गुमटी में पान लिए बैठी है
अपनी ही मेहनत पर पलती है

भट्ठे पर ईंट पाथती छुटकी
सहती रहती ताने अक्सर है
धुआँ नहीं उठता अब झुग्गी में
पाँच किलो गैस का सिलेंडर है
मुफलिस की राह भी सँभलती है
बात यही महलों को खलती है।

-डॉ. अशोक अज्ञानी

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