दिन डूबा
अब घर जाएँगेकैसा आया समय कि साँझे
होने लगे बंद दरवाजे
देर हुई तो घर वाले भी
हमें देखकर डर जाएँगे
आँखें आँखों से छिपती हैं
नजरों में छुरियाँ दिपती हैं
हँसी देखकर हँसी सहमती
क्या सब गीत बिखर जाएँगे
गली-गली औ॔' कूचे-कूचे
भटक रहा पर राह न पूछे
काँप गया वह, किसने पूछा
"सुनिए आप किधर जाएँगे"
-रामदरस मिश्र