बेटा !
निर्वाचित प्रधान से
तुम कुछ मत कहना
चाहें कायाकल्प
गाँव से कोसों दूर रहे
या गलियों में
जातिवाद वाला दस्तूर रहे
तुम तो
अपनी लघुता की
सीमाओं में रहना
बेटा ! ...
ग्राम सभा वाली
ज़मीन पर लाठी चलनी है
और विपक्षी के
खेतों से सड़क निकलनी है
अभी
रक्त को भी है
फूटे सिर में से बहना
बेटा ! ...
जत्था रहता है
प्रधान के साथ दबंगों का
जो कट्टर दुश्मन है
मानवता के अंगों का
और
समझता है जो
हिंसा को अपना गहना
बेटा ! ...
-विवेक चतुर्वेदी
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