August 1, 2023

एक पेड़ चाँदनी

एक पेड़ चाँदनी
लगाया है आँगने
फूले तो
आ जाना
एक फूल माँगने

ढिबरी की लौ
जैसे लीक चली
आ रही
बादल का रोना है
बिजली शरमा रही
मेरा घर छाया है
तेरे सुहाग ने
फूले तो...

तन कातिक
मन अगहन
बार-बार हो रहा
मुझमें तेरा कुँआर
जैसे कुछ बो रहा
रहने दो
यह हिसाब
कर लेना बाद में
फूले तो...

नदी, झील, सागर के
रिश्‍ते मत जोड़ना
लहरों को आता है
यहाँ-वहाँ छोड़ना
मुझको
पहुँचाया है
तुम तक अनुराग ने
फूले तो...

-देवेन्द्र कुमार बंगाली 

5 comments:

  1. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।
    सादर।
    ---
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ४ अगस्त २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. अद्भुत प्राकृतिक बिम्बों के संयोजन से एक उत्कृष्ट भावनात्मक शब्द-चित्र ...

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  3. वाह! सुन्दर सृजन

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  4. बहुत ही सुन्दर नवगीत प्रतीकों और बिंबों का सार्थक प्रयोग

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