August 1, 2023

सोने के हिरन नहीं होते

आधा जीवन जब बीत गया
बनवासी-सा गाते-रोते
अब पता चला इस दुनिया में
सोने के हिरन नहीं होते

सम्बन्ध सभी ने तोड़ लिए
चिन्ता ने कभी नहीं तोड़े
सब हाथ जोड़कर चले गये
पीड़ा ने हाथ नहीं जोड़े
सूनी घाटी में अपनी ही
प्रतिध्वनियों ने यों छला हमें
हम समझ गये पाषाणों में-
वाणी, मन, नयन नहीं होते
अब पता चला...

मन्दिर-मन्दिर भटके-लेकर
खंडित विश्वासों के टुकड़े
उसने ही हाथ जलाये, जिस-
प्रतिमा के चरण-युगल पकड़े
जग जो कहना चाहे, कह ले
अविरल दृग जल धारा बह ले
पर जले हुए इन हाथों से
हमसे अब हवन नहीं होते
अब पता चला...

-कन्हैयालाल बाजपेयी

2 comments:

  1. शानदार प्रतीक एवं अर्थ भंगिमा, वाह |

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  2. सोने के हिरण नहीं होते

    मृग मरीचिका में भटकते मानव मन के लिए मजबूत प्रस्तुति

    शानदार

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