रेत से लिखो या जलधार से लिखो,
मेरा है नाम, इसे प्यार से लिखो
खोल कर हवाओं में,
जुड़े सौरभ के,
ओस नम हथेली में,
इन्द्रधनु कसेंगे हम
फूलों से भर देंगे,
सूनी यात्राएँ
नीले जल में हिलते,
द्वीप में बसेंगे हम
पलकों की स्याही से,
अधर की गवाही से
या बाँहों के बंदनवार से लिखो
रेत से लिखो...
भर कर पूरनमासी
चाँदनी शिराओं में,
बाँहों में धार,
नदी निर्झर की जोड़कर,
छोड़ कर हिरन साँसों के,
चन्दनवन में
हम-तुम बह जाएँगे,
लहरों को तोड़ कर
पल से चाहे छिन से,
या कि निमिष भर मन से
दो मंगल अक्षर,
त्योहार से लिखो
मेरा है नाम,
इसे प्यार से लिखो
-डॉ. विनोद निगम
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