हवा आयी
गंध आयीगीत भी आये
पर तुम्हारे पाँव
देहरी पर नहीं आये
अब गुलाबी होंठ से
जो प्यास उठती है
वह कंटीली डालियों पर
सांस भरती है
नील नभ पर
अश्रु–सिंचित
फूल उग आये
पर तुम्हारे पाँव...
तितलियों की
धड़कने
चुभती लताओं पर
डोलती चिनगारियाँ
काली घटाओं पर
इन्द्रधनु–सा
झील में
कोई उतर आये
तितलियों की
धड़कने
चुभती लताओं पर
डोलती चिनगारियाँ
काली घटाओं पर
इन्द्रधनु–सा
झील में
कोई उतर आये
पर तुम्हारे पाँव...
झर रहे हैं चुप्पियों की
आँख से सपने
फिर हँसी के पेड़ की
छाया लगी डसने
शब्द आँखों से
निचुड़ते
आग नहलाये
झर रहे हैं चुप्पियों की
आँख से सपने
फिर हँसी के पेड़ की
छाया लगी डसने
शब्द आँखों से
निचुड़ते
आग नहलाये
पर तुम्हारे पाँव...
–डॉ० ओम प्रकाश सिंह
–डॉ० ओम प्रकाश सिंह
सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार ९ अक्टूबर २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
वाह!! बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteबहुत सुंदर!
ReplyDeleteबेहद सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना । बहुत बहुत बधाई । रेणु चन्द्रा
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