मैं धरातल पर घड़ी भर
पाँव धरना चाहता हूँ
कल्पनाओं !
तुम अभी कुछ देर ठहरो
मैं बहुत ही थक गया हूँ
दूर से मुझको अकेले
लौटकर आना पड़ा है
मैं जिधर से जा चुका था
क्या बताऊँ क्यों मुझे फिर से
उधर आना पड़ा है
कुछ समय तक मैं
स्वयं से बात करना चाहता हूँ
व्यस्तताओं !
तुम अभी कुछ देर ठहरो
मैं जिन्हें अपना चुका था
आज मैं यह जान पाया
वे नहीं मेरे हुए हैं
जो दबे थे खो चुके थे
वे अभाषित प्रश्न मुझको
आज तक घेरे हुए हैं
रिक्तियों को मैं
किसी भी भाँति भरना चाहता हूँ
वर्जनाओं !
तुम अभी कुछ देर ठहरो
मैं अटल कर्त्तव्य पथ पर
छोड़कर फिर आ गया हूँ
अनमने अधिकार सारे
मौन मुझको रुच रहा है
अब नहीं सुनने कभी भी
प्रश्न या उत्तर तुम्हारे
पत्थरों के बीच से अब
मैं गुज़रना चाहता हूँ
देवताओं !
तुम अभी कुछ देर ठहरो
-ज्ञान प्रकाश आकुल
पाँव धरना चाहता हूँ
कल्पनाओं !
तुम अभी कुछ देर ठहरो
मैं बहुत ही थक गया हूँ
दूर से मुझको अकेले
लौटकर आना पड़ा है
मैं जिधर से जा चुका था
क्या बताऊँ क्यों मुझे फिर से
उधर आना पड़ा है
कुछ समय तक मैं
स्वयं से बात करना चाहता हूँ
व्यस्तताओं !
तुम अभी कुछ देर ठहरो
मैं जिन्हें अपना चुका था
आज मैं यह जान पाया
वे नहीं मेरे हुए हैं
जो दबे थे खो चुके थे
वे अभाषित प्रश्न मुझको
आज तक घेरे हुए हैं
रिक्तियों को मैं
किसी भी भाँति भरना चाहता हूँ
वर्जनाओं !
तुम अभी कुछ देर ठहरो
मैं अटल कर्त्तव्य पथ पर
छोड़कर फिर आ गया हूँ
अनमने अधिकार सारे
मौन मुझको रुच रहा है
अब नहीं सुनने कभी भी
प्रश्न या उत्तर तुम्हारे
पत्थरों के बीच से अब
मैं गुज़रना चाहता हूँ
देवताओं !
तुम अभी कुछ देर ठहरो
-ज्ञान प्रकाश आकुल
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