अच्छे दिन
जल्दी आ जायें
कुछ वादे
पूरे हो पायें
स्वच्छ, सुखद
हर एक दृश्य हो
फूलें-फलें
सभी के सपने
अपने, बने रहें
बस अपने
सत्य कथन की
सदा विजय हो
बचा रहे
बच्चों का बचपन
थोड़ा और
बढ़े संवेदन
मन में नहीं
किसी का भय हो
कविताओं में
जन-पीड़ा हो
छन्दों में न
शब्द-क्रीड़ा हो
कथ्य सहज हो
यति-गति-लय हो
नया वर्ष मंगलमय हो।
-डा॰ जगदीश व्योम
भाई व्योम जी का यह गीत शुभेच्छाओं के विनिमय के साथ संदेशवाही भी है: 'कविताओं में जन-पीड़ा हो / छंदों में न शब्द-क्रीड़ा हो' किन्तु यही सध्या हो तो गीत से रसानंद का लोप हो जाएगा. पीड़ा और आनंद दोनों का कई-दमन का सा साथ है और गीत/नवगीत में दोनों हों तभी वह जी सकेगा अन्यथा साम्यवादी कविता की तरह अरण्यरोदन ही करता रहा तो जन से दूर हो जाएगा.
ReplyDeleteभाई व्योम जी का यह गीत शुभेच्छाओं के विनिमय के साथ संदेशवाही भी है: 'कविताओं में जन-पीड़ा हो / छंदों में न शब्द-क्रीड़ा हो' किन्तु यही सध्या हो तो गीत से रसानंद का लोप हो जाएगा. पीड़ा और आनंद दोनों का कई-दमन का सा साथ है और गीत/नवगीत में दोनों हों तभी वह जी सकेगा अन्यथा साम्यवादी कविता की तरह अरण्यरोदन ही करता रहा तो जन से दूर हो जाएगा.
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