भीलों नें बाँट लिये वन
राजा को खबर तक नहींपाप चढ़ा राजा के सिर
दूध की नदी हुई जहर
गाँव, नगर धूप की तरह
फैल गयी यह नयी खबर
रानी हो गयी बदचलन
राजा को खबर तक नहीं
कच्चा मन राजकुँवर का
बे-लगाम इस कदर हुआ
आवारा छोरों का संग
रोज खेलने लगा जुआ
हार गया दाँव पर बहन
राजा को खबर तक नहीं
उल्टे मुँह हवा हो गयी
मरा हुआ साँप जी गया
सूख गये ताल-पोखरे
बादल को सूर्य पी गया
पानी बिन मर गये हिरन
राजा को खबर तक नहीं
एक रात काल देवता
परजा को स्वप्न दे गये
राजमहल खण्डहर हुआ
छत्र-मुकुट चोर ले गये
सिंहासन का हुआ हरण
राजा को खबर तक नहीं
-श्रीकृष्ण तिवारी
Bahut Acchha navgeet
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