एक तुम्हारा होना
क्या से क्या कर देता हैबेजुबान छत‚ दीवारों को
घर कर देता है।
खाली शब्दों में
आता है
ऐसा अर्थ पिरोना
गीत वन गया-सा
लगता है
घर का कोना-कोना
एक तुम्हारा होना
सपनों को स्वर देता है ।
आरोहों अवरोहों से
समझाने
लगती हैं
तुमसे जुड़कर
चीजें भी
बतियाने लगती हैं
एक तुम्हारा होना
अपनापन भर देता है
एक तुम्हारा होना
क्या से क्या कर देता है।
-माहेश्वर तिवारी
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ReplyDeleteसोम ठाकुर जी की एक गीत गिर गया हूँ मैं किसी बेसुरे मोड़ पर
ReplyDeleteगिर गया हूँ किसी बेसुरे मोड़ पर
Deleteबाँसुरी की लहर से उठा लो मुझे
रोशनी के लिए मैं परेशान हूँ
इस अँधेरी गली से निकालो मुझे।
वक़्त भारी बहुत है हृदय कह रहा
शेष कितनी निशा है पता ही नहीं
भीड़ के पाँव तो चल रहे हैं मग़र
कौन सी ये दिशा है पता ही नहीं
कर रही हैं प्रतीक्षा कहीं मंज़िलें
रुक न जाऊँ यहीं तुम संभालो मुझे
गिर गया हूँ किसी बेसुरे मोड़ पर
बाँसुरी की लहर से उठा लो मुझे।
शीश पर जो उठाए रही थी सदा
सभ्यता की शिला झाग की हो गई
सिद्धियाँ आँकती आ रहीं थी जिसे
चंदनी रेख वो आग की हो गई
सावनों के लिए शीश धुनता हुआ
सिंधु हूँ आज बादल बना लो मुझे
गिर गया हूँ किसी बेसुरे मोड़ पर
बाँसुरी की लहर से उठा लो मुझे।
अंकुरों को सँजोये हुए मैं जिया
फ़ूल हैं, रंग हैं, गंध मकरंद है
जिस तरफ़ देखिये स्वप्न पीले पड़े
किंतु मुझमे हरा जागरण बंद है
जो पड़ा रह गया ध्वंस की जेब में
वह सृजन बीज हूँ तुम चुरा लो मुझे
गिर गया हूँ किसी बेसुरे मोड़ पर
बाँसुरी की लहर से उठा लो मुझे।
-सोम ठाकुर
बहुत बहुत धन्यवाद और आभार इस गीत को प्रस्तुत करने के लिए 🙏🙏
Deleteगिर गया हूं किसी बेसुरे मोड़ पर
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