तुम दरबारों के गीत लिखो
मैं जन की पीड़ा गाऊँगा.
लड़ते-लड़ते तूफानों से
मेरे तो युग के युग बीते
वीभत्स अभावों का साया
आकर हर रोज डराता है.
मैं क्या जानूँ सोने-से दिन
क्या जानूँ चाँदी-सी रातें
जो भोग रहा हूँ रात-दिवस
मेरा तो उससे नाता है.
तुम सोने-मढ़ा अतीत लिखो
मैं अपना समय सुनाऊँगा.
जो भोगा पग-पग वही लिखा
जैसा हूँ मुझमें वही दिखा
मैं कंकड़-पत्थर-काँटों पर
हर मौसम चलने का आदी.
वातानुकूल कक्षों में शिखरों-
की प्रशस्ति के तुम गायक
है मिली हुई जन्मना तुम्हें
कुछ भी करने की आजादी.
तुम सुख-सुविधा को मीत चुनो
मैं दुःख का जश्न मनाऊँगा.
आजन्म रही मेरे हिस्से
निर्मम अँधियारों की सत्ता
मुझ पर न किसी पड़ी दृष्टि
मैं अनबाँचा अनलिखा रहा.
मुस्तैद रहे हैं मेरे होंठों पर
सदियों- सदियों ताले
स्वर अट्ठहास के गूँज उठे
जब मैंने अपना दर्द कहा.
तुम किरन-किरन को क़ैद करो
मैं सूरज नया उगाऊँगा .
-जय चक्रवर्ती
आजन्म रही मेरे हिस्से
ReplyDeleteनिर्मम अँधियारों की सत्ता
मुझ पर न किसी पड़ी दृष्टि
मैं अनबाँचा अनलिखा रहा.
मुस्तैद रहे हैं मेरे होंठों पर
सदियों- सदियों ताले
स्वर अट्ठहास के गूँज उठे
जब मैंने अपना दर्द कहा.
वाह👌👌👌👌👌 सुबह सुबह इतना सुंदर भावपूर्ण गीत पढ़कर आनंद आ गया। हार्दिक शुभकामनाएं कविराज🙏🙏
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
06/04/2021 मंगलवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
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आप भी इस हलचल में. .....
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धन्यवाद
आदरणीय सर ,
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सशक्त कविता। मेरी मासी मुझे अक्सर कहतीं हैं की एक कवि का धर्म है कि वह देश की आम जनता और पीड़ित व वंचित वर्गों की पीड़ा को अपनी लेखनी से जन-जन तक पहुंचाए।
आज आपकी रचना में उसी भाव को पढ़ कर मन आनंदित हो गया। " तुम किरण -किरण को कैद करो, मैं नया सूरज उगाऊँगा " मेरी प्रिय पंक्ति है जो हमें संघर्ष क्र सफलता पाने की प्रेरणा देती है।
हार्दिक आभार इस सुंदर रचना के लिए।
बहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteआजन्म रही मेरे हिस्से
ReplyDeleteनिर्मम अँधियारों की सत्ता
मुझ पर न किसी पड़ी दृष्टि
मैं अनबाँचा अनलिखा रहा.
मुस्तैद रहे हैं मेरे होंठों पर
सदियों- सदियों ताले
स्वर अट्ठहास के गूँज उठे
जब मैंने अपना दर्द कहा.
नया सूरज उगाने का हौसला ही कुछ नई इबारत लिखवा सकता है । बहुत खूब
अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
ReplyDeletegreetings from malaysia