सुनो सभासद
हम केवल
विलाप सुनते हैं
तुम कैसे सुनते हो अनहद !
पहरा बैसे
बहुत कड़ा है
देश किन्तु अवसन्न पड़ा है
खत्म नहीं
हो पायी अब तक
मन्दिर से मुर्दों की आमद
सूनो सभासद.. .
आवाजों से
बचती जाए
कानों में है रुई लगाए
दिन-पर-दिन है
बहरी होती जाती
यह बड़-बोली संसद
हम केवल
विलाप सुनते हैं
तुम कैसे सुनते हो अनहद !
पहरा बैसे
बहुत कड़ा है
देश किन्तु अवसन्न पड़ा है
खत्म नहीं
हो पायी अब तक
मन्दिर से मुर्दों की आमद
सूनो सभासद.. .
आवाजों से
बचती जाए
कानों में है रुई लगाए
दिन-पर-दिन है
बहरी होती जाती
यह बड़-बोली संसद
सूनो सभासद.. .
बौने शब्दों के
आश्वासन
और दुःखी कर जाते हैं मन
उतना छोटा
काम कर रहा
जिसका है जितना ऊँचा कद
बौने शब्दों के
आश्वासन
और दुःखी कर जाते हैं मन
उतना छोटा
काम कर रहा
जिसका है जितना ऊँचा कद
सूनो सभासद.. .
-माहेश्वर तिवारी
उतना छोटा काम कर रहा
ReplyDeleteजिसका जितना ऊंचा है कद
सार्थक बात कहता, सुंदर नवगीत