बिंदिया, कँगना,
पायल, बिछुआ,
प्रणय अतीत लिखे
फूलों की पंखुरियों पर
फागुन ने गीत लिखे
रंगों की मादकता उस पर
छन्दों के अनुबन्ध
कहने को आतुर हैं
अपने-अपनों के सम्बंध
पत्र-प्रेयसी को चोरी से
ज्यों मनमीत लिखे
भौंरों की अनुगूँज फूल के
कानों में अनुप्रास
भीतर-भीतर लगा कसकने
मदिराया मधुमास
मन-आँगन की
चंचल तितली
रस की रीत लिखे
सेमल, साल,
पलाश वनों में
भर सिन्दूर नहाते
महुवाए रतजगे बेचारे
भीम पलासी गाते
अलगोजे की तान पुरानी
परिणय-प्रीत लिखे
-रामकिशोर दाहिया
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