आग से मत खेल बेटे,
आग से !
हिल रही पूरी इमारत
आग से !
हिल रही पूरी इमारत
सीढियाँ टूटी हुई मत चढ़
खोल बस्ता खोल
गिनती रट
पहाड़े पढ़
मत दिखा उभरी पसलियाँ
बैठ झुककर बैठ
खोल बस्ता खोल
गिनती रट
पहाड़े पढ़
मत दिखा उभरी पसलियाँ
बैठ झुककर बैठ
दर्द भी गा राग से
मत अलग कर दूध-पानी
भेद मत कर
गीत हो या मर्सिया
पृष्ठ पूरे उन्हें दे
जिनके लिए है
पकड़ अपना हसिया
नहीं...रोटी....नहीं..
चाँद-तारे और सूरज माँग
काठ के ये खिलौने भी
मत अलग कर दूध-पानी
भेद मत कर
गीत हो या मर्सिया
पृष्ठ पूरे उन्हें दे
जिनके लिए है
पकड़ अपना हसिया
नहीं...रोटी....नहीं..
चाँद-तारे और सूरज माँग
काठ के ये खिलौने भी
मिल गए हैं भाग से।
-भगवान स्वरुप 'सरस'
[संवेदनात्मक आलोक से साभार]
-भगवान स्वरुप 'सरस'
[संवेदनात्मक आलोक से साभार]
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