July 25, 2024

एक हाथ में हल की मुठिया

एक हाथ में हल की मुठिया
एक हाथ में पैना
मुँह में तिक-तिक बैल भागते
टालों का क्या कहना
भइ टनन टनन का गहना

सिर पर पाग बदन पर बंडी
कसी जाँघ तक धोती
ढलक रहे माथे से नीचे
बने पसीना मोती
टँगी मूँठ में हलकी थैली
जिसमें भरा चबेना
भइ गुन गुन का क्या कहना

जोड़ी लिए जुए को जाती
बँधा बँधा हल खिंचता
गरदन हिलती टाली बजती
दिल धरती का सिंचता
नाथ-जेबड़े रंग बिरंगे
बढ़िया गहना पहना
भइ सजधज का क्या कहना

गढ़ी पैंड की नोंक जमीं पे
खिंच लकीर बन जाती
उठती मिट्टी फिर आ गिरती
नोंक चली जब जाती
बनी हलाई, हुई जुताई
सुख का सोता बहता
भइ इस सुख का क्या कहना
भइ टनन टनन का गहना

-विश्वनाथ राघव


["धरती के गीत" संकलन से]

1 comment:

  1. बहुत ही सुंदर ।

    यथार्थ की ज़मीन पर जन्मा गीत।

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