November 13, 2012

अबके दिन बीत रहे.

अबके
दिन बीत रहे..

संझाते रिश्तों की
नावें
सब डोली
मांझी से
सकुचाती
आँखों से बोली

वो ही ले डूबेंगे
अब तक जो मीत रहे

किरणों की किरचों से
उजियारा
घायल
छाया को खोज रहा
जहाँ - तहाँ
पागल

गुपचुप मुड़भेड़ों में
साये सब
जीत रहे
अबके
दिन बीत रहे..

- रोहित रूसिया
[ फेसबुक से साभार ]

No comments:

Post a Comment