April 5, 2012

अम्मा की पाती

अम्मा ने भेजी है पाती
बेटा, पंडित जी कहते हैं
तुझ पर है ग्रह साढ़ेसाती

तेरा शनि है दशम भाव में
चौथे घर में राहु बसा है
जन्म कुण्डली के हिसाब से
कालसर्प की महादशा है
अजब-अजब सपने आते हैं
रात-रात भर नींद न आती ।

विध-विधान सब समझाने को
पंण्डितजी फिर कल आएंगे
बेटा, जी छोटा मत करना
सारे संकट टल जाएंगे
बड़ा महातम है जप-तप का
क्या कर लेंगे ग्रह उत्पाती ?

तेरी खातिर सब कुछ दूँगी
जो भी देना पड़े दान में
हफ्तेभर की छुट्टी लेकर
बस आ जाना अनुष्ठान में
राजी-खुशी रहे तू बबुआ
ठाकुरजी से रोज मनाती ।

जान रहा हूँ मैं, पड़ोस की
चाची ने बहकाया होगा
उल्टी-सीधी बातें कहकर
अम्मा को भरमाया होगा
वरना खेत बेचने को
अम्मा कैसे राजी हो जाती ।


-सत्यनारायण

[ आजकल, मार्च २००७ से साभार ]

6 comments:

  1. बहुत बढ़िया..........
    अंधविश्वासो पर प्रहार करती रचना.

    सादर

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  2. भोली भाली अम्मा सचमुच बेटे के लिये सर्वस्व न्योछावर कर सकती है ....बहुत बढ़िया नवगीत

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  3. वर्ना खेत बेचने को
    अम्मा क्यों राज़ी होतीं
    ....मर्म को छू गयी.....!

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  4. माँ बच्चों पर आए संकट को हर हाल में दूर कर दें चाहती है ... बहुत आत्मीय रचना

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  5. सुन्दर नवगीत....
    सादर.

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  6. sparsh karnewali rachna

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