March 10, 2012

सुनो कबीर

सुनो, कबीर
बचाकर रखना
अपनी पोथी.
सरल नहीं
गंगा के तट पर
बातें कहना  .
घडियालों  ने
मानव बनकर
सीखा रहना .
हित की बात
जहर सी लगती
लगती थोथी

बाहर कुछ
अन्दर से कुछ हैं
दुनिया वाले .
उजले लोग
मखमली कपड़े
दिल है काले.

सब ने रखी
ताक पर जाकर
गरिमा जो थी

-त्रिलोक सिंह ठकुरेला 

7 comments:

  1. बेहतरीन है सर!


    सादर

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  2. अच्छी रचना

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  3. सुंदर अभिव्यक्ति.

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  4. सुंदर अभिव्यक्ति

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  5. मैंने पहली बार हाइकु कविता पढ़ी है.... मेरे लिए बिलकुल नयी विधा .... रचना बहुत ही अच्छी लगी ....बहुत बहुत बधाई .

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  6. मैंने पहली बार हाइकु कविता पढ़ी है.... मेरे लिए बिलकुल नयी विधा .... रचना बहुत ही अच्छी लगी ....बहुत बहुत बधाई .

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  7. बहुत ही सुंदर और सधी हुई अद्भुत रचना है। प्रेरणादायक।

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