September 27, 2011

सोख न लेना पानी

सूरज !
सोख न लेना पानी 

तड़प तड़प कर मर जाएगी
मन की मीन सयानी !
सूरज, सोख न लेना पानी !

बहती नदिया सारा जीवन
साँसें जल की धारा
जिस पर तैर रहा नावों-सा
अँधियारा उजियारा
बूँद-बूँद में गूँज रही है
कोई प्रेम कहानी !
सूरज, सोख न लेना पानी !

यह दुनिया पनघट की हलचल
पनिहारिन का मेला
नाच रहा है मन पायल का
हर घुँघुरू अलबेला
लहरें बाँच रही हैं
मन की कोई बात पुरानी !
सूरज, सोख न लेना पानी !

-डॉ० कुँअर बेचैन

3 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति पर
    बहुत बहुत बधाई ||

    ReplyDelete
  2. वाह ....बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!

    ReplyDelete