सूरज !
सोख न लेना पानी
तड़प तड़प कर मर जाएगी
मन की मीन सयानी !
सूरज, सोख न लेना पानी !
बहती नदिया सारा जीवन
साँसें जल की धारा
जिस पर तैर रहा नावों-सा
अँधियारा उजियारा
बूँद-बूँद में गूँज रही है
कोई प्रेम कहानी !
सूरज, सोख न लेना पानी !
यह दुनिया पनघट की हलचल
पनिहारिन का मेला
नाच रहा है मन पायल का
हर घुँघुरू अलबेला
लहरें बाँच रही हैं
मन की कोई बात पुरानी !
सूरज, सोख न लेना पानी !
-डॉ० कुँअर बेचैन
सुन्दर प्रस्तुति पर
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई ||
वाह ....बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!
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