बचकर कहाँ चलेगा पगले,
चारों ओर मचान है
हर मचान पर एक शिकारी,
हर मचान पर एक शिकारी,
आँखों में शैतान है !
हवा धूल में बटमारीपन,
हवा धूल में बटमारीपन,
छाया की तासीर गरम
सरमायेदारों के कपड़े,
सरमायेदारों के कपड़े,
पहने घूम रहा मौसम
नद्दी-नालों की ज़ंजीरें
नद्दी-नालों की ज़ंजीरें
हरियल टहनीदार नियम
न्यायाधीश पहाड़ मौन हैं,
न्यायाधीश पहाड़ मौन हैं,
खा-पीकर रिश्वती रकम
सत्ता के जंगल की
सत्ता के जंगल की
पत्ती-पत्ती बेईमान है !
चारों ओर अँधेरा गहरा,
चारों ओर अँधेरा गहरा,
पहरा है संगीन का
महँगाई ने हाँका मारा,
महँगाई ने हाँका मारा,
बजा कनस्तर टीन का
जिनको पाँव मिले वे भागे,
जिनको पाँव मिले वे भागे,
पंजा पड़ा मशीन का
जहाँ बचाएँ प्राण, नहीं रे !
जहाँ बचाएँ प्राण, नहीं रे !
टुकड़ा मिला ज़मीन का
कहाँ छुपाएँ अंडे-बच्चे
कहाँ छुपाएँ अंडे-बच्चे
हर प्राणी हैरान है !
पहले पूरब, फिर पच्छिम में,
पहले पूरब, फिर पच्छिम में,
गोली चली मचान से
दक्खिन थर-थर काँपा,
दक्खिन थर-थर काँपा,
उत्तर चीख़ पड़ा जी-जान से
सिसकी लेकर मध्यम धरती,
सिसकी लेकर मध्यम धरती,
बोली दबी ज़ुबान से
राम बचाए, राम बचाए,
राम बचाए, राम बचाए,
ऐसे हिन्दुस्तान से
लाठी, गोली, अश्रु-गैस,
लाठी, गोली, अश्रु-गैस,
जीना क्या आसान है ?
-रमेश रंजक
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