August 2, 2023

हवा आयी गंध आयी

हवा आयी
गंध आयी
गीत भी आये
पर तुम्हारे पाँव
देहरी पर नहीं आये

अब गुलाबी होंठ से
जो प्यास उठती है
वह कंटीली डालियों पर
सांस भरती है
नील नभ पर
अश्रु–सिंचित
फूल उग आये
पर तुम्हारे पाँव...

तितलियों की
धड़कने
चुभती लताओं पर
डोलती चिनगारियाँ
काली घटाओं पर
इन्द्रधनु–सा
झील में
कोई उतर आये
पर तुम्हारे पाँव...

झर रहे हैं चुप्पियों की
आँख से सपने
फिर हँसी के पेड़ की
छाया लगी डसने
शब्द आँखों से
निचुड़ते
आग नहलाये
पर तुम्हारे पाँव...

–डॉ० ओम प्रकाश सिंह

6 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ९ अक्टूबर २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. वाह!! बहुत बढ़िया...

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  3. बहुत सुंदर!

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  4. बेहद सुंदर रचना

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  5. Anonymous10:59 AM

    बहुत सुंदर रचना । बहुत बहुत बधाई । रेणु चन्द्रा

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