September 25, 2011

ये कैसा देश है

ये कैसा देश है
कैसे कैसे चलन
अंधों का कजरौटे करते अभिनंदन ।

तितली के पंखों पर
बने बहीखाते
खुशबू पर भी पहरे
बैठाए जाते
डरा हुआ रवि गया चमगादड़ की शरण ।

लिखे भोजपत्रों पर
झूठे हलफ़नामे
सारे आंदोलन हैं
केवल हंगामे
कुत्ते भी टुकड़ों का दे रहे प्रलोभन ।

चाटुकारिता से
सार्थक होती रसना
क्षुब्ध चेतना मेरी
उफ् गैरिक वसना
ज्वालामुखि बेच रहे कुल्फियाँ सरीहन ।

-उमाकान्त मालवीय

6 comments:

  1. आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 26-09-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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  2. भाई डॉ० जगदीश व्योम जी उमाकांत जी के नवगीत यहाँ पढ़वाने के लिए आभार

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  3. भाई डॉ० जगदीश व्योम जी उमाकांत जी के नवगीत यहाँ पढ़वाने के लिए आभार

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  4. rachanakar ko naman...ek ek shabd santrasvadiyon ke khilaf vidroh karti nazar aati hai... padhane ke liye shukriya

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  5. धन्यवाद चन्द्र भूषण मिश्र जी ! चर्चा मंच पर चर्चा करवा कर आप रचनाकार की रचना को अगणित लोगों तक पहुँचाने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

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  6. धन्यवाद तुषार जी ।

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