चन्द्रभूषण मिश्र जी ! ब्लाग पर प्रकाशित सामग्री की चर्चा करने का मंच देकर आप एक अच्छा कार्य ही नहीं कर रहे हैं बल्कि लेखन और अच्छे लेखन के लिए रचनाकारों को प्रोत्साहित भी कर रहे हैं। दरअसल हमारे यहाँ वरिष्ठ रचनाकार अभी भी इण्टरनेट से दूर ही हैं, उन्हें इस मैदान में लाने के लिए जो किया जाना चाहिये चर्चा मंच के बहाने आप उसे बखूबी निभा रहे हैं। मेरा पूर्ण सहयोग आपके साथ है।
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें बहुत ही खुबसूरत शब्दों का समायोजन.... लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/ अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।
नवगीत अभिधेयात्मक एवं व्यंजनात्मक शक्तियों को लिए हुए है।
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत शब्दों का समायोजन....
ReplyDeleteसुन्दर नवगीत
ReplyDeleteमनोज कुमार जी ! डा० अश्वघोष जी के नवगीत पर आपकी टिप्पणी पढ़कर प्रसन्नता हो रही है।
ReplyDeleteचन्द्रभूषण मिश्र जी ! ब्लाग पर प्रकाशित सामग्री की चर्चा करने का मंच देकर आप एक अच्छा कार्य ही नहीं कर रहे हैं बल्कि लेखन और अच्छे लेखन के लिए रचनाकारों को प्रोत्साहित भी कर रहे हैं। दरअसल हमारे यहाँ वरिष्ठ रचनाकार अभी भी इण्टरनेट से दूर ही हैं, उन्हें इस मैदान में लाने के लिए जो किया जाना चाहिये चर्चा मंच के बहाने आप उसे बखूबी निभा रहे हैं। मेरा पूर्ण सहयोग आपके साथ है।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना ... सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeletesunder shabdo se saji rachna...
ReplyDeleteआपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत शब्दों का समायोजन....
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।
बहुत सुन्दर गीत....
ReplyDeleteसादर....
आप सभी का डा० अश्वघोष के नवगीत पर प्रतिक्रिया के लिये आभार।
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
man ko bha gayi ye geet...wah
ReplyDeleteA bunch of good words,of heart & possessive mind ... / thanks ji
ReplyDeletemanbhavan geet...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर नवगीत है।
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