July 29, 2018

सीमाओं में कहाँ बँधा है

सीमाओं में कहाँ बँधा है
प्रतिभाओं का तार
गगन के जाना जिनको पार

लिए हाथ में श्रम की लाठी
रच लेते ये नव परिपाटी
सपने आसमान के लेकिन
पाँव तले रहती है माटी
अपनी कूवत से कर लेते
सात समंदर पार
गगन के जाना जिनको पार

चाँद तोड अमृत निचोड़ लें
बरसाती जलधार मोड़ दें
टूटे हुए शिकारे-कश्ती
जब चाहें, ये उन्हें जोड़ लें
पाँव वक़्त के सिर पर
रखने को हरदम तैयार
गगन के जाना जिनको पार

ये संघर्षों का प्रतिफल हैं
महाउदधि में मीठा जल हैं
नैराश्यों के बियाबान में
एक मात्र ये ही सम्बल हैं
ये प्रलयी अंधड़ के आगे
भरते हैं हुंकार
गगन के जाना जिनको पार

-सोनम 

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