आँख ऊषा ने खोली
खनके चिड़ियों के कंगनकिरणें रहीं टटोल
गेह के कोने-कोने को
रातों के प्रहरी उलूक
जाते हैं सोने को
आँगन में आ गया, महकता
सुरभित वृंदावन
करती हवा ठिठोली
कलियों ने घूँघट खोले
सगुनौती पढ़ रहा
मुँडेरों पर कागा बोले
बड़े-बड़े हो गये
खुशी से, फूलों के लोचन
छन्द किसानों ने लिख डाले
हल से धरती पर
स्वप्न ऊगने लगे सुनहरे
बंजर पड़ती पर
धरती पर उतार लाये
ज्यों कृषक गंध मादन
-आचार्य भगवत दुबे
आभार आदरणीय सर अनमोल मोती इस ब्लॉग पर मिल जाते हैं
ReplyDeleteशब्दों के माध्यम से,मनोहारी विवरण
ReplyDeleteबहुत सुन्दर उपमान प्रयोग किये हैं, अच्छी रचना है. बधाई.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर उपमान प्रयोग में लाये हैं, सुन्दर रचना. बधाई है.
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