August 2, 2023

पाँच जोड़ बाँसुरी

बासंती रात के निर्मल
पल आखिरी
बेसुध पल आखिरी,
विह्वल पल आखिरी
पर्वत के पार से बजाते तुम बाँसुरी
पाँच जोड़ बाँसुरी

वंशी-स्वर उमड़-घुमड़ रो रहा
मन उठ चलने को हो रहा
धीरज की गाँठ खुली लो, लेकिन
आधे अँचरे पर पिया सो रहा
मन मेरा तोड़ रहा पाँसुरी
पाँच जोड़ बाँसुरी

पर्वत के पार से बजाते तुम बाँसुरी
बासंती रात के निर्मल
पल आखिरी
बेसुध पल आखिरी
विह्वल पल आखिरी
पाँच जोड़ बाँसुरी

-ठाकुर प्रसाद सिंह

(पाँच जोड़ बाँसुरी से)

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