April 7, 2023

गीत-विहग उतरा

हल्दी चढ़ी
पहाड़ी देखी
मेंहदी रची धरा 
अँधियारे के साथ
पाहुना गीत-विहग उतरा 

गाँव फूल-से
गूँथ दिये
सर्पिल पगडण्डी ने 
छोर फैलते 
गये मसहरी के
झीने-झीने 
दिन,
जैसे बाँसुरी बजाता
बनजारा गुज़रा 
पाहुना गीत-विहग... 

पोंछ पसीना
ली अँगड़ाई
थकी क्रियाओं ने 
सौंप दिये
मीठे सम्बोधन
खुली भुजाओं ने 
जोड़ गया 
सन्दर्भ मनचला 
मौसम हरा-भरा 
पाहुना गीत-विहग... 

-रमेश रंजक

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